Solar Panels के बारे में 5 सबसे बड़े मिथक – जो अब टूट चुके हैं! Solar panel myths

Updated on: July 13, 2025 | By S.K. Gupta
Solar panel myths

Solar panel myths: आज के समय में बिजली के बिल जैसे-जैसे बढ़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे लोग वैकल्पिक स्रोतों की ओर देख रहे हैं। उनमें से सोलर एनर्जी सबसे ज्यादा भरोसेमंद और टिकाऊ विकल्प बनकर सामने आई है। सूरज से मिलने वाली ये मुफ्त ऊर्जा न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि आपकी जेब को भी राहत देती है। लेकिन इसके बावजूद, आज भी बहुत से लोग सोलर पैनल को लेकर असमंजस में हैं। कुछ बातें उन्होंने इतने सालों से सुनी हैं कि अब वे उन्हें सच मान चुके हैं, जबकि हकीकत उससे बिल्कुल अलग है।

1. मिथक: सोलर पैनल बारिश या बादल में काम नहीं करते

सोलर पैनल को लेकर सबसे आम भ्रांति यही है कि ये बादल या बारिश के मौसम में काम नहीं करते। कई लोगों को लगता है कि धूप नहीं होगी तो बिजली नहीं बनेगी, लेकिन यह सच नहीं है। सोलर पैनल सूरज की रोशनी से बिजली बनाते हैं, तापमान से नहीं। यानी चाहे हलके बादल हों या हल्की बारिश, पैनल तब भी काम करते हैं। हां, उत्पादन थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन रुकता नहीं है। आज की सोलर टेक्नोलॉजी इतनी उन्नत हो चुकी है कि कम रोशनी में भी पैनल बिजली बनाने में सक्षम हैं। यानी केवल तेज धूप ही ज़रूरी नहीं है।

2. मिथक: सोलर सिस्टम लगवाना बहुत महंगा है

एक और बड़ी भ्रांति यह है कि सोलर लगवाना सिर्फ अमीरों के बस की बात है। लोगों को लगता है कि लाखों रुपये खर्च करने पड़ेंगे, जबकि सच्चाई बिल्कुल इसके उलट है। आज भारत सरकार की “PM Surya Ghar Yojana” के तहत 1.08 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल रही है। अगर आप 2kW का सोलर सिस्टम लगवाना चाहते हैं, जिसकी कीमत पहले ₹1.20 लाख तक थी, तो अब वही सिस्टम आपको सब्सिडी के बाद मात्र ₹30,000 से ₹40,000 में मिल सकता है, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जहाँ राज्य सरकार भी अतिरिक्त सब्सिडी देती है। इतना ही नहीं, अब सरकारी बैंक भी सोलर लोन उपलब्ध करा रहे हैं, जिनका ब्याज दर 6%–7% के बीच होता है। यानी आप किश्तों में भुगतान करके भी अपना सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं।

3. मिथक: सोलर लगाने से बिजली कनेक्शन कट जाएगा

कई लोगों को लगता है कि कि सोलर सिस्टम लगाने के बाद बिजली विभाग उनका कनेक्शन काट देगा। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होता। खासकर जब आप On-grid सोलर सिस्टम लगवाते हैं, तब तो आपका बिजली कनेक्शन बना ही रहता है। फर्क सिर्फ इतना होता है कि पहले आप बिजली सिर्फ ग्रिड से लेते थे, अब आप खुद भी बिजली बना रहे होते हैं। अगर आपके पैनल जरूरत से ज्यादा बिजली बनाते हैं, तो वो ग्रिड में भेज दी जाती है, और उसका फायदा आपको आपके बिल में सीधा कटौती के रूप में मिल जाता है। इसे नेट मीटरिंग कहते हैं, और यह एक पारदर्शी और पूरी तरह लीगल प्रक्रिया है।

4. मिथक: सोलर पैनल ज्यादा जगह लेते हैं

कुछ लोगों को लगता है कि सोलर पैनल बहुत जगह घेर लेते हैं और उनकी छत पर इतनी जगह नहीं है। जबकि हकीकत ये है कि एक 1kW सोलर सिस्टम लगाने के लिए सिर्फ 60 से 80 स्क्वायर फीट जगह की जरूरत होती है। आजकल ज्यादातर घरों की छतें 500 से 800 स्क्वायर फीट की होती हैं, यानी 3kW तक का सिस्टम आसानी से फिट हो सकता है। इसके अलावा अब ऐसे हाई एफिशिएंसी पैनल आ चुके हैं जो कम जगह में ज्यादा बिजली बना सकते हैं। इनमें Mono perc और Bifacial Panel सबसे आगे हैं, जो दोनों तरफ से रोशनी लेकर बिजली बना सकते हैं।

5. मिथक: सोलर सिस्टम की उम्र कम होती है और जल्दी खराब हो जाता है

बहुत से लोग डरते हैं कि इतनी बड़ी लागत लगाने के बाद सिस्टम 4-5 साल में खराब हो गया तो क्या होगा?
जबकि असलियत ये है कि सोलर पैनल पर औसतन 25 साल की वारंटी मिलती है। इन्वर्टर पर भी 5 से 10 साल तक और बैटरी पर 3 से 5 साल की वारंटी होती है। यदि सिस्टम की सही इंस्टॉलेशन हुई हो और समय-समय पर हल्की-फुल्की सफाई होती रहे, तो ये सिस्टम बहुत लंबे समय तक बेहतरीन प्रदर्शन करता है। कई मामलों में तो पैनल 30 साल तक भी चल जाते हैं।


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लेखक के बारे में

S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।

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