Solar Panel Installation Checklist – Solar Panel लगवाने से पहले ये 10 चीजें पक्का करें।

सोलर सिस्टम लगवाना आज सिर्फ एक स्मार्ट विकल्प नहीं, बल्कि एक ज़रूरत बन चुका है। जैसे-जैसे बिजली के दाम बढ़ते जा रहे हैं और सब्सिडी का फायदा मिलता जा रहा है, वैसे-वैसे लोग सोलर की ओर आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन सोलर सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं है जिसे आपने दुकान से खरीदा और लगा लिया — यह एक लंबी अवधि का निवेश है। इसे लगाने से पहले कुछ बातें हैं जो आपको बहुत गंभीरता से समझनी चाहिए, नहीं तो बाद में पछताना पड़ सकता है।
1. आपके घर में कितनी बिजली की ज़रूरत है
अक्सर लोग दूसरों को देखकर या सिर्फ सब्सिडी के लालच में सोलर लगवा लेते हैं, लेकिन ये शुरुआत गलत होती है। सबसे पहले आपको खुद से यह सवाल पूछना चाहिए – क्या मुझे सच में सोलर की जरूरत है? और अगर है तो कितनी यूनिट की जरूरत है? अगर आपके घर में हर महीने 200 से 300 यूनिट तक बिजली की खपत हो रही है, तो आपके लिए लगभग 2kW से 3kW का सोलर सिस्टम पर्याप्त रहेगा। इससे ज्यादा या कम सिस्टम चुनने से या तो आपकी जरूरत पूरी नहीं होगी या फिर निवेश का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा।
2. क्या आपकी छत पर पर्याप्त जगह है?
सोलर लगाने से पहले यह देखना ज़रूरी है कि आपकी छत पर उतनी जगह है या नहीं जितनी सोलर पैनल को चाहिए। आमतौर पर हर 1kW के सिस्टम के लिए करीब 60 से 80 वर्ग फीट की जगह चाहिए होती है। मतलब अगर आप 3kW सिस्टम लगवाना चाहते हैं, तो आपकी छत पर कम से कम 200 वर्ग फीट की साफ और छाया रहित जगह होनी चाहिए। छाया अगर आती है, तो पैनल की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है और बिजली का उत्पादन कम हो जाता है।
3. किस तरह का सोलर सिस्टम आपके लिए सही रहेगा?
सोलर सिस्टम भी एक जैसा नहीं होता। यह तीन तरह के आते हैं – On-Grid, Off-Grid और Hybrid। अगर आपके इलाके में बिजली की कटौती कम होती है, तो On-Grid सिस्टम काफी अच्छा रहेगा क्योंकि इसमें सब्सिडी भी मिलती है और लागत भी कम आती है। लेकिन अगर आपके यहां बार-बार बिजली जाती है, तो Off-Grid सिस्टम अच्छा विकल्प होगा क्योंकि इसमें बैटरी होती है और बिजली जाने पर भी आपके घर की लाइट जलती रहती है। हाइब्रिड सिस्टम दोनों का मिश्रण होता है – लेकिन थोड़ा महंगा पड़ता है। इसलिए सिस्टम चुनने से पहले अपने इलाके की बिजली की स्थिति को ज़रूर ध्यान में रखें।
4. मीटर का Load बढ़वाना ज़रूरी तो नहीं?
यह एक बेहद जरूरी लेकिन अक्सर अनदेखा किया जाने वाला पहलू है। अगर आप On-Grid सिस्टम लगवा रहे हैं, तो आपके बिजली मीटर पर जितना sanctioned load है, उससे ज़्यादा का सोलर सिस्टम नहीं लग सकता। अगर आपके मीटर का लोड सिर्फ 2kW है और आप 3kW सिस्टम लगवाना चाहते हैं, तो पहले आपको बिजली विभाग से अपना sanctioned load बढ़वाना होगा। यह प्रक्रिया आसान है लेकिन थोड़ा समय लग सकता है – इसलिए इसे पहले ही करवा लेना बेहतर होता है।
5. DCR और Non-DCR पैनल का फर्क समझिए
सरकारी सब्सिडी के लिए DCR (Domestic Content Requirement) वाले पैनल अनिवार्य होते हैं। यानी वो पैनल जो भारत में बने हों। अगर आप कम कीमत में सोलर लगवाना चाहते हैं और सब्सिडी नहीं ले रहे हैं, तो Non-DCR पैनल भी लगा सकते हैं – लेकिन ध्यान रहे कि उनमें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलेगी। हमेशा इंस्टॉलर से पूछें कि वह कौन सा पैनल दे रहा है।
6. क्या आपका सोलर इंस्टॉलर भरोसेमंद है?
यह सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है। आजकल हर गली-मोहल्ले में कोई न कोई खुद को “सोलर एक्सपर्ट” बताकर इंस्टॉलिंग शुरू कर चुका है। लेकिन आप किसी ऐसे व्यक्ति या कंपनी पर भरोसा न करें जो सिर्फ सस्ता दाम दे रही हो। एक अच्छा इंस्टॉलर वही है जो MNRE से अप्रूव्ड हो, फ्री साइट विजिट करे, नेट मीटरिंग में सहायता करे और इंस्टॉलेशन के बाद साल में कम से कम एक बार सर्विस दे। साथ ही, वॉरंटी और AMC का पूरा विवरण भी पहले से दे। एक बार का सस्ता सौदा आपको सालों की टेंशन दे सकता है।
7. Subsidy का पूरा फायदा मिल रहा है या नहीं?
सरकार PM Surya Ghar योजना के तहत 3kW तक के सिस्टम पर लगभग ₹78,000 की सब्सिडी दे रही है। कई राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश, अतिरिक्त राज्य सब्सिडी भी मिलती है। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि आपका रजिस्ट्रेशन सरकार की वेबसाइट pmsuryaghar.gov.in पर सही तरीके से हो और इंस्टॉलर आपको गाइड करे कि फॉर्म, डॉक्युमेंट और प्रोसेस में कोई गलती न हो।
8. इन्वर्टर सही चुना है?
सोलर सिस्टम का असली दिमाग उसका इन्वर्टर होता है। अगर आपका सिस्टम On-Grid है तो एक सिंपल इन्वर्टर से भी काम चल जाएगा, लेकिन अगर आप Hybrid या Off-Grid ले रहे हैं तो एक स्मार्ट और हाई एफिशिएंसी इन्वर्टर ही लगवाएं। आजकल MPPT (Maximum Power Point Tracking) इन्वर्टर सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हैं और ज्यादा बिजली बनाने में सक्षम होते हैं। एक अच्छा इन्वर्टर लंबे समय में फर्क लाता है।
9. Earthing और SPD का होना अनिवार्य है
बहुत बार बिजली गिरने, वोल्टेज फ्लक्चुएशन या शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाएं सोलर सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए Earthing और SPD (Surge Protection Device) का इंस्टॉलेशन बेहद जरूरी होता है। कई बार लोकल इंस्टॉलर इसे छोड़ देते हैं जिससे सिस्टम जल्दी खराब हो सकता है। पक्का करें कि इंस्टॉलेशन में यह सुरक्षा भी शामिल हो।
10. वारंटी और सर्विस का भरोसा है?
हर सोलर पैनल पर औसतन 25 साल की परफॉर्मेंस वॉरंटी मिलती है, लेकिन इन्वर्टर, बैटरी या इंस्टॉलेशन सर्विस पर वॉरंटी अक्सर क्लियर नहीं होती। यही वजह है कि आपको शुरू में ही यह जान लेना चाहिए कि इंस्टॉलर कितने साल तक आपको सर्विस देगा, और क्या वह साल में एक बार फ्री चेकअप करेगा या नहीं। भरोसे की कंपनी वही होती है जो इंस्टॉलेशन के बाद भी आपके साथ खड़ी रहती है।
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लेखक के बारे में
S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।