सोलर इंस्टॉलेशन में कौन-कौन से उपकरण लगते हैं? जानिए पूरी लिस्ट और उनका काम। Solar System Components

आज के समय में जब बिजली के बिल लगातार बढ़ते जा रहे हैं और सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दे रही है, तब सोलर सिस्टम लगवाना एक समझदारी भरा फैसला है। लेकिन जब कोई पहली बार सोलर लगवाने का सोचता है, तो सबसे पहले मन में यही सवाल आता है – “इसमें क्या-क्या लगता है?”
तो चलिए, आसान भाषा में जानते हैं कि एक कंप्लीट सोलर इंस्टॉलेशन में कौन-कौन से उपकरण (components) लगते हैं और उनका क्या काम होता है।
- सोलर पैनल (Solar Panel)
यह सबसे जरूरी हिस्सा है। यहीं से पूरी सोलर बिजली बनती है। पैनल सूरज की रोशनी को कैप्चर करता है और उसे DC (Direct Current) में बदलता है। यह पैनल अलग-अलग कंपनियों और क्षमता में आते हैं, जैसे 440W, 550W आदि। भारत में Loom, Waaree, Tata और Vikram जैसे ब्रांड बहुत लोकप्रिय हैं।
- इन्वर्टर (Inverter)
सोलर पैनल जो बिजली बनाते हैं वो DC होती है, लेकिन हमारे घर के सभी उपकरण AC (Alternating Current) पर चलते हैं। इन्वर्टर DC को AC में बदलने का काम करता है। इन्वर्टर तीन तरह के होते हैं – On Grid, Off Grid और Hybrid। आपका सिस्टम किस प्रकार का होगा, उसी अनुसार इन्वर्टर चुना जाता है।
- बैटरी (Battery) – Off Grid/Hybrid में जरूरी
अगर आप Off Grid या Hybrid सिस्टम लगवा रहे हैं, तो बैटरी जरूरी होती है। यह दिन में बनी अतिरिक्त बिजली को स्टोर करती है और रात में या बिजली कटने पर आपके घर को चलाती है। लिथियम आयन और ट्यूबलर दो प्रकार की बैटरियां होती हैं। लिथियम बैटरी महंगी होती है, लेकिन लंबे समय तक चलती है।
- GI Structure (ढांचा)
GI Structure (Galvanized Iron Structure) वो मजबूत फ्रेम होता है जिस पर सोलर पैनल लगाए जाते हैं। यह जंग-रोधी होता है और इसे खास तौर पर धूप, बारिश और तेज़ हवा को सहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। GI स्ट्रक्चर छत या ज़मीन पर टिकता है और पैनल को सही एंगल में पकड़कर ज्यादा बिजली उत्पादन में मदद करता है। यह सोलर सिस्टम का एक जरूरी हिस्सा है जो पूरे सिस्टम की लाइफ और परफॉर्मेंस को सुनिश्चित करता है।
- DCDB और ACDB (Distribution Box)
DCDB: यह सोलर पैनल से आने वाली DC सप्लाई को इन्वर्टर से पहले कंट्रोल करता है। इसमें फ्यूज, MCB और SPD होते हैं ताकि शॉर्ट सर्किट या ओवरलोड से सिस्टम को बचाया जा सके।
ACDB: यह इन्वर्टर से निकलने वाली AC सप्लाई को आपके घर में भेजने से पहले सुरक्षा प्रदान करता है।
- Lightning Arrestor (बिजली गिरने से सुरक्षा)
यह उपकरण छत पर लगता है और आसमानी बिजली (lightning) गिरने से आपके पूरे सोलर सिस्टम को सुरक्षित करता है। यह जरूरी होता है खासकर खुले इलाकों में या बड़े सिस्टम में।
- Earthing Kit (अर्थिंग सिस्टम)
सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए Proper Earthing जरूरी है। इससे ओवरलोड या शॉर्ट सर्किट जैसी घटनाओं में करंट सीधे ज़मीन में चला जाता है और उपकरण सुरक्षित रहते हैं।
- Wires & Conduits (तार और पाइपिंग)
पूरे सिस्टम को जोड़ने के लिए DC और AC वायरिंग होती है। तारों को सुरक्षित रखने और बारिश-धूप से बचाने के लिए PVC या HDPE पाइप्स का इस्तेमाल किया जाता है।
- Net Meter (केवल On Grid सिस्टम में)
अगर आपने On Grid सिस्टम लगाया है, तो बिजली विभाग की ओर से Net Meter लगाया जाता है जो आपकी भेजी और ली गई यूनिट का हिसाब रखता है और उसी के आधार पर आपका बिजली बिल बनता है।
- Monitoring System (ऑनलाइन ट्रैकिंग के लिए)
कुछ स्मार्ट इन्वर्टर्स के साथ मोबाइल ऐप या वेब पोर्टल की सुविधा मिलती है, जहां से आप जान सकते हैं कि सोलर सिस्टम कितनी बिजली बना रहा है, कितनी उपयोग हो रही है और कितनी ग्रिड में जा रही है।
तो अगर आप सोलर सिस्टम लगवाने की सोच रहे हैं, तो अब आपको अच्छे से पता चल गया होगा कि उसमें क्या-क्या लगता है और किस चीज का क्या काम है। एक अच्छा और भरोसेमंद सोलर डीलर आपको यह सारी चीजें स्टैंडर्ड क्वालिटी की देगा और इंस्टॉलेशन से लेकर सब्सिडी तक पूरा गाइड करेगा।
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लेखक के बारे में
S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।