सिर्फ धूप नहीं – ये Solar Panel बारिश और बादल में भी बिजली बनाता है!

Updated on: July 23, 2025 | By S.K. Gupta
solar panel

जब हम सोलर पैनल की बात करते हैं, तो ज़्यादातर लोगों के दिमाग में यही आता है कि ये सिस्टम सिर्फ़ तेज़ धूप में ही काम करता है। मतलब, अगर बादल छा गए या बारिश शुरू हो गई, तो समझो बिजली बनना बंद! लेकिन हकीकत इससे बहुत अलग है। टेक्नोलॉजी अब पहले जैसी नहीं रही। आज के आधुनिक सोलर पैनल सिर्फ़ सूरज की सीधी रोशनी पर ही निर्भर नहीं रहते, बल्कि वो बादल, हल्की छांव या यहां तक कि बारिश के मौसम में भी बिजली बना लेते हैं।

दरअसल, सोलर पैनल रोशनी से काम करते हैं – सिर्फ़ सूरज की सीधी रौशनी से नहीं, बल्कि फैली हुई रोशनी (diffused light) से भी। और यही बात इसे और भी दिलचस्प बनाती है।

कैसे बनती है बिजली बादलों और बारिश में?

आपने कभी गौर किया है कि बादल छाए होने के बावजूद दिन में चारों ओर उजाला होता है। सूरज छिपा होता है, पर उसका असर पूरी तरह खत्म नहीं होता। उसी तरह, जब आसमान में बादल होते हैं या बारिश हो रही होती है, तब भी थोड़ी-बहुत रौशनी ज़रूर मौजूद रहती है। ये रौशनी सीधे सोलर पैनलों पर पड़ती है और फोटोवोल्टिक सेल उसे बिजली में बदलना शुरू कर देते हैं। हां, उतनी पावर नहीं बनती जितनी तेज़ धूप में बनती है, लेकिन इतना ज़रूर होता है कि आपका सिस्टम पूरी तरह बंद नहीं होता।

यहाँ टेक्नोलॉजी का रोल और बड़ा हो जाता है। खासतौर पर अगर आपने N-Type, Bifacial या TopCon जैसे नए जमाने के सोलर पैनल लगाए हैं, तो बिजली बनने की संभावना और भी बढ़ जाती है।

N-Type और TopCon टेक्नोलॉजी क्या है?

पारंपरिक P-Type सोलर पैनलों की तुलना में N-Type पैनल ज्यादा संवेदनशील होते हैं। यानी ये कम रोशनी में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं। N-Type पैनल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इनमें बिजली की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों बेहतर होती है। इसकी वजह से बादलों वाले दिन या हल्की बारिश में भी ये अच्छी मात्रा में पावर पैदा कर लेते हैं।

अब बात करें TopCon टेक्नोलॉजी की, तो ये N-Type का ही एक एडवांस्ड वर्जन है। यह तकनीक अब धीरे-धीरे भारत में भी लोकप्रिय हो रही है। TopCon पैनल न सिर्फ कम रोशनी में बेहतर परफॉर्म करते हैं, बल्कि इनकी ड्यूरैबिलिटी भी ज्यादा होती है और ये ज्यादा तापमान में भी बेहतर चलते हैं। यानी गर्मियों में भी पावर लॉस कम होता है।

Bifacial पैनल क्या है?

Bifacial यानी ऐसे पैनल जो दोनों तरफ से बिजली बना सकते हैं – सामने से भी और पीछे से भी। यानी अगर आपने इसे एक थोड़े ऊंचे GI स्ट्रक्चर पर लगाया है और आपकी छत पर सफेद या रिफ्लेक्टिव सतह है, तो पैनल की पिछली तरफ भी रोशनी टकराकर बिजली बना सकती है। बादलों के समय जब रोशनी चारों तरफ फैली हुई होती है, तब Bifacial पैनल इस फैली हुई रौशनी को दोनों तरफ से कैप्चर कर सकता है। इस वजह से यह पैनल बारिश और बादलों के मौसम में भी ज्यादा बिजली देने में सक्षम होता है।

सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, इंस्टॉलेशन भी मायने रखता है

सोलर पैनल कितना अच्छा प्रदर्शन करेगा, ये सिर्फ इस बात पर नहीं निर्भर करता कि आपने कौन सी टेक्नोलॉजी ली है। ये भी जरूरी है कि पैनल का इंस्टॉलेशन सही एंगल पर हुआ हो, छत पर कोई छांव न पड़ रही हो, और कनेक्शन पूरी तरह सही ढंग से किया गया हो। कई बार लोग अच्छा पैनल तो खरीद लेते हैं, लेकिन गलत इंस्टॉलेशन की वजह से उसका पूरा फायदा नहीं उठा पाते। इसलिए किसी एक्सपर्ट इंस्टॉलर से ही काम करवाना समझदारी होगी।


यह भी पढ़े –

लेखक के बारे में

S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।

Leave a Comment