सोलर लगवाने के बाद मीटर कैसे चलता है? – Net Metering को ऐसे समझें

आज के समय में जब बिजली के बिल लगातार बढ़ते जा रहे हैं, सोलर सिस्टम एक स्मार्ट और सस्टेनेबल विकल्प बन गया है। लेकिन जब भी कोई सोलर सिस्टम लगवाता है, तो सबसे पहला सवाल होता है – “अब मेरा बिजली मीटर कैसे चलेगा?”
इस सवाल का सीधा जवाब है – Net Metering के ज़रिए।
आइए विस्तार से समझते हैं कि नेट मीटरिंग क्या है, यह कैसे काम करता है और सोलर लगवाने के बाद आपके मीटर पर इसका क्या असर पड़ता है।
- Net Metering क्या होता है?
नेट मीटरिंग (Net Metering) एक ऐसा सिस्टम है जिसमें जब आप अपने सोलर पैनल से बिजली बनाते हैं और उसे उपयोग करते हैं, तो उसका रिकॉर्ड आपके घर के डिजिटल नेट मीटर में दर्ज होता है।
इसमें दो तरह की यूनिट गिनी जाती हैं:
- Import Unit – जो बिजली आप ग्रिड (बिजली विभाग) से लेते हैं।
- Export Unit – जो अतिरिक्त बिजली आप अपने सोलर से बना कर ग्रिड को वापस भेजते हैं।
कैसे चलता है Net Meter?
मान लीजिए आपके घर पर 3kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगा है। एक दिन में आपने 20 यूनिट बिजली की खपत की और सोलर ने 15 यूनिट बना दी।
अब:
- 15 यूनिट आपने सोलर से चला ली
- बाकी की 5 यूनिट ग्रिड से ली गई → ये आपकी Import Unit में जुड़ेंगी
दूसरी स्थिति में मान लीजिए:
- आपने सिर्फ 10 यूनिट बिजली इस्तेमाल की
- लेकिन सोलर ने 15 यूनिट बना दी
- अब अतिरिक्त 5 यूनिट ग्रिड में भेज दी गईं → ये आपकी Export Unit में जुड़ेंगी
महीने के आखिर में कैसे होता है बिल?
- Net Metering में आपके पूरे महीने का हिसाब लगाया जाता है:
- जितनी यूनिट आपने Import की (ली)
- उसमें से जितनी यूनिट आपने Export की (दी)
- दोनों का अंतर निकाल कर आपको बिल भेजा जाता है
उदाहरण:
माह का कुल Import | 100 यूनिट |
माह का कुल Export | 80 यूनिट |
Final बिल | 100 – 80 = 20 यूनिट का बिल |
अगर आपने Export ज़्यादा किया है, तो वो यूनिट अगली बार एडजस्ट होती हैं।
Net Metering के फायदे:
- बिजली का बिल काफी कम या शून्य तक हो सकता है
- जो बिजली आप खुद नहीं उपयोग कर पाते, वो ज़ाया नहीं जाती
- ग्रिड को सपोर्ट करके आप पर्यावरण की मदद करते हैं
- बिजली के बढ़ते रेट से बचाव होता है
- क्या Net Meter अलग से लगवाना होता है?
जी हां, जब आप ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाते हैं, तो बिजली विभाग की ओर से एक नया Net Meter इंस्टॉल किया जाता है। यह मीटर दोनो दिशाओं में यूनिट नापता है – Import और Export।
- Net Metering किन राज्यों में उपलब्ध है?
भारत के लगभग सभी राज्यों में Net Metering की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन इसकी प्रक्रिया राज्य बिजली बोर्ड (DISCOM) पर निर्भर करती है।
उत्तर प्रदेश में भी Net Metering के ज़रिए सब्सिडी वाला ऑन-ग्रिड सिस्टम लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष:
अगर आप सोलर लगवाने का सोच रहे हैं, तो Net Metering को जरूर समझें। यह सिस्टम न सिर्फ बिजली का बिल कम करता है बल्कि आपको आत्मनिर्भर भी बनाता है। एक बार Net Meter लगने के बाद आप खुद देख पाएंगे कि आप ग्रिड से कितना ले रहे हैं और कितना वापस दे रहे हैं।
नोट:
सोलर सिस्टम और Net Metering से जुड़ी किसी भी सरकारी स्कीम या तकनीकी पहलुओं को समझने से पहले, किसी सर्टिफाइड सोलर एजेंसी या एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
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