देश का सबसे बड़ा सोलर प्लांट… लेकिन इसमें खास क्या है? जानिए पूरी डिटेल

Updated on: July 14, 2025 | By S.K. Gupta
सोलर प्लांट

कभी ऊर्जा के क्षेत्र में पिछड़ा समझा जाने वाला बिहार अब देश के ऊर्जा मानचित्र पर अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने जा रहा है। लखीसराय जिले के कजरा गांव में बनने जा रहा भारत का सबसे बड़ा सोलर एनर्जी स्टोरेज प्रोजेक्ट इसका जीता-जागता उदाहरण है। यह कोई सामान्य परियोजना नहीं, बल्कि वह परिवर्तनकारी पहल है जो बिहार को न सिर्फ बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि पूरे देश के लिए एक हरित भविष्य की मिसाल भी बनेगी। यह परियोजना उन सपनों को साकार करने जा रही है, जिनमें बिहार जैसे राज्य के लोग भी स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी बड़ी उपलब्धियों में भागीदार बनना चाहते हैं।

L&T को मिली है जिम्मेदारी

सरकार ने इस ऐतिहासिक ऊर्जा परियोजना की जिम्मेदारी देश की अग्रणी निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (L&T) को सौंपी है। करीब 1232 एकड़ में फैली इस परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जा रहा है। यह क्षेत्रफल अपने आप में इस बात का संकेत है कि कितनी बड़ी और व्यापक सोच के साथ यह काम हो रहा है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य यह है कि जब बिजली की मांग चरम पर हो, तो भी सप्लाई में कोई गिरावट ना आए। इसके लिए बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली का निर्माण किया जा रहा है जो जरूरत के वक्त बिजली को स्टोर करके सप्लाई कर सके।

लक्ष्य है अगस्त 2025 तक पूरा करना

शुरुआत में इस प्रोजेक्ट को दिसंबर 2025 तक पूरा करने की योजना थी, लेकिन अब इसे और तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए अगस्त 2025 तक पूरा करने का नया लक्ष्य रखा गया है। इसका मतलब साफ है — बिहार अब केवल वादों का नहीं, परिणामों का भी प्रदेश बन रहा है। समय से पहले काम पूरा करना सिर्फ तकनीकी दक्षता नहीं दिखाता, यह इस बात का संकेत है कि अब सरकारें और संस्थाएं आम लोगों की जरूरतों को प्राथमिकता देने लगी हैं।

पहले चरण का काम लगभग पूरा

फिलहाल परियोजना का पहला चरण ज़ोरों पर है, जो 689 एकड़ जमीन पर फैलाया गया है। इसमें 185 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन और 254 मेगावाट-घंटा बैटरी स्टोरेज की क्षमता तैयार की जा रही है। इसका मतलब यह है कि ये बैटरियां एक बार चार्ज होकर लगातार चार घंटे तक 45.4 मेगावाट बिजली दे सकती हैं। यह क्षमता छोटे शहरों और कस्बों की ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम है। पहले चरण पर लगभग ₹1570 करोड़ की लागत आ रही है और इसके अंतर्गत दो लाख से अधिक सोलर पैनल पहले ही लगाए जा चुके हैं। 81 बैटरी कंटेनर भी स्थापित किए जा चुके हैं, और पावर निकासी की पूरी व्यवस्था पर तेजी से काम हो रहा है। परियोजना की सुरक्षा और सीमांकन के लिए 12 किलोमीटर लंबी बाउंड्री वॉल का निर्माण भी पूरा हो चुका है, जो इस बात की गवाही देता है कि हर पहलू पर गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है।

दूसरे चरण की भी व्यापक योजना

पहले चरण के साथ-साथ इस परियोजना का दूसरा चरण भी बड़ी ही योजनाबद्ध तरीके से तैयार किया जा रहा है। इसमें 400 एकड़ भूमि पर 116 मेगावाट (AC) की अतिरिक्त सौर ऊर्जा क्षमता जोड़ी जाएगी। साथ ही 241 मेगावाट-घंटा बैटरी स्टोरेज सिस्टम भी तैयार होगा जो चार घंटे तक 50.5 मेगावाट बिजली की सप्लाई देगा। इस चरण की अनुमानित लागत ₹880 करोड़ से अधिक है और इसकी जिम्मेदारी भी L&T को ही सौंपी गई है। यानी एक ही कंपनी के माध्यम से दोनों चरणों को एकसाथ जोड़कर न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि गुणवत्ता और सामंजस्य भी बना रहेगा।

क्यों है यह परियोजना इतनी अहम?

इस परियोजना से मिलने वाले फायदे सिर्फ तकनीकी या आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय भी हैं। सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा मिलने से कोयले और डीजल जैसे पारंपरिक संसाधनों पर निर्भरता घटेगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी। यही नहीं, बिजली वितरण कंपनियों पर लोड भी कम होगा और ग्रिड की स्थिरता बढ़ेगी। यह पूरे प्रदेश के लिए एक गेम चेंजर की तरह साबित हो सकता है, क्योंकि इससे बिजली की कीमतों में गिरावट की संभावना भी है।

इस प्रोजेक्ट से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने के भी कई मौके बनेंगे। इतनी बड़ी परियोजना के निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिए स्थानीय स्किल्ड और अनस्किल्ड वर्कर्स की ज़रूरत पड़ेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

पर्यावरण की दिशा में एक बड़ा कदम

यह पूरा प्रोजेक्ट पर्यावरण की दिशा में लिया गया एक महत्वपूर्ण निर्णय है। जब हम पारंपरिक ईंधनों की जगह ग्रीन एनर्जी को अपनाते हैं, तो यह न सिर्फ हवा और पानी को साफ करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य भी सुनिश्चित करता है। बिहार जैसे राज्य के लिए यह एक ऐतिहासिक मोड़ है, जो यह साबित करता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद अगर नीयत और नीति साफ हो, तो कोई भी राज्य राष्ट्रीय ऊर्जा आंदोलन का नेतृत्व कर सकता है।


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लेखक के बारे में

S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।

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