आपके घर में कौन सा सोलर सिस्टम लगेगा – On Grid, Off Grid या Hybrid? जानिए 2 मिनट में

आजकल बिजली का बिल हर महीने एक बोझ बनता जा रहा है। लोग चाहकर भी ज्यादा उपकरण नहीं चला पाते क्योंकि यूनिट बढ़ते ही बिल आसमान छूने लगता है। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपकी जेब पर बोझ न पड़े और बिजली हमेशा बनी रहे, तो सोलर सिस्टम एक बेहतरीन विकल्प है। लेकिन सवाल आता है – आपके घर में कौन-सा सोलर सिस्टम लगना चाहिए? On Grid, Off Grid या Hybrid?
इस सवाल का जवाब पाने के लिए चलिए इन तीनों सिस्टम को बिल्कुल आसान भाषा में एक-एक करके समझते हैं।
On Grid Solar System
ये सिस्टम सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है और शहरों में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है। इस सिस्टम में दो मुख्य चीजें होती हैं – सोलर पैनल और इनवर्टर। जब सूरज की रोशनी सोलर पैनल पर पड़ती है तो वो बिजली बनाता है और वह बिजली सीधे आपके घर के पंखे, लाइट, कूलर, फ्रिज जैसे उपकरणों को चलाती है। अगर आपके पैनल जरूरत से ज्यादा बिजली बना रहे हैं, तो वह अतिरिक्त यूनिट सीधे बिजली विभाग (ग्रिड) को चली जाती है और बिजली विभाग उतनी यूनिट को आपके बिल में एडजस्ट कर देता है। वहीं अगर सोलर बिजली कम बनाता है तो जितनी जरूरत बचती है उतनी बिजली ग्रिड से ले लेते हैं और उसी के अनुसार बिल आता है।
यह सिस्टम पूरी तरह ग्रिड से जुड़ा होता है, इसलिए अगर किसी कारण से बिजली कंपनी की सप्लाई बंद हो जाए, तो आपका सोलर सिस्टम भी काम नहीं करेगा। ये सिस्टम घर के लोड (kW) के अनुसार लगाया जाता है, जैसे अगर आपके घर का sanctioned लोड 3kW है और आप 5kW का सोलर लगवाना चाहते हैं, तो आपको लोड भी बढ़वाना पड़ेगा। यह सिस्टम उन जगहों के लिए एकदम सही है जहां बिजली कटौती कम होती है। सबसे बड़ी बात, इस सिस्टम पर सरकार की ओर से भारी सब्सिडी दी जाती है, जिससे इसकी लागत बहुत कम हो जाती है।
Off Grid Solar System
यह सिस्टम खासतौर पर उन जगहों पर इस्तेमाल होता है जहां बिजली बहुत कम आती है या बिल्कुल नहीं आती। इसमें तीन मुख्य चीजें होती हैं – पैनल, इनवर्टर और बैटरी। दिन में सोलर पैनल सूरज की रोशनी से बिजली बनाते हैं और वह बिजली सीधे आपके घर को चलाती है। अगर उस समय ज्यादा बिजली बन रही है तो वह बची हुई यूनिट बैटरी में स्टोर हो जाती है, जो रात में या जब सूरज नहीं निकलता, तब आपके घर को बिजली देती है।
Off Grid सिस्टम में बैटरी होने के कारण इसकी लागत ज्यादा होती है और बैटरी की मेंटेनेंस भी करनी पड़ती है। लेकिन यह उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जो बिजली कटौती से परेशान हैं या जिनके इलाके में बिजली पहुंची ही नहीं है। इसके अलावा यह सिस्टम दुकान, ऑफिस, स्कूल, पेट्रोल पंप जैसी जगहों के लिए भी बहुत उपयुक्त है जहां बिजली का बैकअप जरूरी होता है।
Hybrid Solar System
जैसा कि नाम से पता चलता है, यह सिस्टम On Grid और Off Grid दोनों का मिश्रण होता है। इसमें भी तीन कंपोनेंट होते हैं – सोलर पैनल, बैटरी और हाइब्रिड इनवर्टर। जब सूरज की रोशनी आती है, तो बिजली बनती है और सीधे आपके घर को चलाती है। अगर पैनल ज्यादा बिजली बनाता है तो वह पहले बैटरी में स्टोर हो जाती है और जब बैटरी पूरी तरह चार्ज हो जाती है, तब बची हुई बिजली ग्रिड में चली जाती है। और जब बिजली चली जाती है, तो बैटरी से आपके घर को सपोर्ट मिलता है।
Hybrid सिस्टम सबसे ज्यादा स्मार्ट और ऑटोमैटिक होता है, लेकिन इसकी कीमत भी सबसे ज्यादा होती है क्योंकि इसमें हाई-क्वालिटी इनवर्टर और बैटरी लगती हैं। इस पर सरकार की सब्सिडी भी मिलती है, लेकिन कुछ खास शर्तों के साथ जैसे – बैटरी ISI approved होनी चाहिए, inverter सरकारी लिस्टेड vendor से होना चाहिए आदि।
तो अब जब आपने तीनों सोलर सिस्टम के बारे में विस्तार से समझ लिया है, तो आप खुद तय कर सकते हैं कि आपके घर के लिए कौन-सा सोलर सिस्टम सही रहेगा। जहां बिजली की सुविधा है वहां On Grid, जहां बिजली ही नहीं वहां Off Grid, और जहां बैकअप भी चाहिए और बिल भी बचाना है वहां Hybrid एकदम फिट बैठता है।
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लेखक के बारे में
S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।