मॉनसून में भी चलता है सोलर सिस्टम? जानिए बारिश और बादलों में कितनी बिजली बनती है

जब भी लोग सोलर पैनल लगवाने का सोचते हैं, उनके मन में एक सवाल ज़रूर आता है – “अगर बादल छा जाएं या बारिश हो तो क्या सोलर पैनल बिजली बनाते हैं?”
ये सवाल बिल्कुल जायज़ है क्योंकि सोलर सिस्टम सूरज की रोशनी से ही बिजली बनाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बादल या बारिश में सोलर पैनल बंद हो जाते हैं।
असलियत ये है कि सोलर पैनल धूप में तो ज्यादा बिजली बनाते हैं, लेकिन बादलों और हल्की बारिश में भी काम करते रहते हैं। हां, बिजली की यूनिट थोड़ी कम हो जाती है लेकिन पूरी तरह बंद नहीं होते।
बादल और धूप के बीच का गणित
जब आसमान में बादल होते हैं तो सूरज की सीधी रोशनी थोड़ी कम हो जाती है। पर ऐसा नहीं है कि रोशनी खत्म हो जाती है। बादलों से छनकर जो रोशनी आती है, उसे “diffused sunlight” कहते हैं और यही रोशनी सोलर पैनल को बिजली बनाने में मदद करती है।
मान लीजिए कोई पैनल साफ आसमान में 1kW के सिस्टम से 4-5 यूनिट/दिन बना रहा है, तो वही सिस्टम बादल वाले दिन 2-3 यूनिट/दिन बना सकता है। यानी उत्पादन लगभग 40%–60% तक रह जाता है। लेकिन ये भी कम नहीं है, क्योंकि बिजली तो बन ही रही है!
बारिश के दिन क्या होता है?
बारिश में भी सोलर पैनल काम करते हैं। अगर रोशनी बिलकुल भी नहीं हो (जैसे घनघोर तूफान और अंधेरा), तब थोड़ी देर के लिए सिस्टम में उत्पादन बहुत कम हो सकता है या बंद हो सकता है।
लेकिन हल्की बारिश में पैनल पर मौजूद धूल-मिट्टी धुल जाती है, जिससे पैनल की efficiency बढ़ जाती है। यानी बारिश के बाद आपका सिस्टम फिर से और बेहतर तरीके से काम करता है।
इसलिए कुछ लोग तो मानते हैं कि मानसून के बाद सिस्टम की परफॉर्मेंस और भी अच्छी हो जाती है, क्योंकि पैनल बिलकुल साफ हो जाते हैं।
तो कुल मिलाकर कितना बिजली बनेगा?
अगर आपका सिस्टम 1kW का है और सामान्य दिनों में 120-150 यूनिट प्रति माह बना रहा है, तो मानसून में ये करीब 70-100 यूनिट तक आ सकता है।
लेकिन पूरे साल का औसत निकाला जाए तो सोलर सिस्टम अपनी लागत आराम से निकाल देता है और 25 साल तक लगातार बिजली बचाता है।
क्या इनवर्टर या बैटरी पर फर्क पड़ता है?
अगर आपने on-grid सोलर सिस्टम लगाया है, तो वो ग्रिड से जुड़ा होता है, इसलिए जो कमी आती है वो बिजली बोर्ड से मिल जाती है।
लेकिन अगर off-grid सिस्टम है जिसमें बैटरी होती है, तो बैकअप से आप बिजली ले सकते हैं। इसीलिए जिन इलाकों में मानसून ज्यादा होता है, वहां लोग बैटरी वाले सिस्टम लगवाने पर विचार करते हैं।
सोलर सिस्टम सिर्फ तेज धूप में ही नहीं चलता।
बादल, बारिश और हल्की धूप में भी बिजली बनती रहती है। हां, उत्पादन थोड़ा घटता है लेकिन बंद नहीं होता।
मानसून का मौसम आपके सिस्टम की सफाई भी कर देता है, जिससे आगे की परफॉर्मेंस और अच्छी हो जाती है।
इसलिए अगर आप सोलर सिस्टम लगवाने का सोच रहे हैं, तो मॉनसून को रुकावट ना समझें। सही सिस्टम और सही जानकारी के साथ आप हर मौसम में बिजली की बचत कर सकते हैं।
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लेखक के बारे में
S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।