सोलर पैनल सिर्फ धूप से ही नहीं, इन 3 तरीकों से भी बनाता है बिजली! जानिए कैसे होता है ये कमाल

जब भी हम सोलर पैनल की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में सबसे पहला ख्याल आता है – “धूप यानी सूरज की रोशनी।” और सही भी है, क्योंकि सोलर पैनल का मूल स्रोत ही सूरज की ऊर्जा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोलर पैनल सिर्फ धूप से ही बिजली नहीं बनाता? जी हां, यह सुनकर आपको हैरानी जरूर होगी, लेकिन आज की टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो चुकी है कि सोलर पैनल अब 3 और तरीकों से भी बिजली बना सकता है।
तो चलिए जानते हैं वो तीन खास तरीके जिनसे सोलर पैनल धूप के बिना भी बिजली पैदा करता है।
1. बादल वाले दिन भी करता है बिजली पैदा (Diffuse Light से Generation)
बहुत लोग सोचते हैं कि बादल या हल्की बारिश वाले दिन सोलर पैनल कुछ नहीं कर पाता। लेकिन असलियत ये है कि सूरज की रोशनी चाहे डायरेक्ट न हो, पर “diffused light” यानी बिखरी हुई रौशनी ज़रूर ज़मीन तक पहुंचती है। यही रौशनी सोलर पैनल को एक्टिव रखती है और थोड़ा कम सही, लेकिन बिजली बनती रहती है।
बादल वाले दिन सोलर पैनल अपनी सामान्य क्षमता का लगभग 10% से 25% तक बिजली बना सकता है — जो कि किसी स्कूल, घर या दुकान की बेसिक जरूरतों के लिए काफी होती है।
2. चांदनी रात में या रात के समय भी कुछ हद तक काम करता है
अब आप कहेंगे कि जब सूरज ही नहीं है, तो सोलर क्या करेगा? लेकिन सोलर पैनल की टेक्नोलॉजी अब इतनी एडवांस हो चुकी है कि वह मूनलाइट यानी चांद की रोशनी से भी थोड़ा बहुत करंट जनरेट कर सकता है।
हालांकि यह मात्रा बहुत कम होती है — कुछ मिलीवोल्ट्स (mV) के आसपास — लेकिन फिर भी कुछ खास इंडस्ट्रियल पैनल्स इसे कैप्चर कर पाते हैं और शोधकर्ताओं द्वारा इस दिशा में लगातार काम हो रहा है।
भविष्य में ऐसा वक्त आ सकता है जब सोलर पैनल रात में भी काम करें – पूरी क्षमता से।
3. ऊष्मा यानी Heat से भी बनती है बिजली (Thermoelectric Effect)
सोलर पैनल मुख्य रूप से Photovoltaic (PV) तकनीक से काम करते हैं, लेकिन कुछ खास किस्म के सोलर पैनल और Hybrid Systems अब ऐसी तकनीक इस्तेमाल कर रहे हैं जिसमें हीट यानी गर्मी से बिजली बनाई जा सकती है।
जब पैनल का तापमान बहुत बढ़ जाता है (जैसे दोपहर में या गर्म जगहों पर), तो उसमें से निकलने वाली अतिरिक्त गर्मी को कुछ सिस्टम कैप्चर करके Thermoelectric Conversion के जरिए बिजली में बदल सकते हैं।
यह तकनीक अभी रिसर्च और इंडस्ट्रियल लेवल पर ज्यादा दिखती है, लेकिन आने वाले समय में आम घरों में भी ऐसे पैनल देखने को मिल सकते हैं।
तो क्या बिना धूप के भी सोलर लगाना समझदारी है?
धूप के बिना सोलर पैनल की परफॉर्मेंस थोड़ी कम जरूर हो जाती है, लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं होती।
आजकल के मॉडर्न पैनल बादल, धुंध और हल्की छांव में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
यही वजह है कि अब सोलर सिर्फ रेगिस्तानी इलाकों में ही नहीं, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों, शहरों और यहां तक कि आंशिक छायायुक्त जगहों में भी लगाए जा रहे हैं।
सोलर पैनल अब सिर्फ धूप तक सीमित नहीं रह गया है।
Diffused Light, Moonlight और Heat जैसी चीज़ों से भी ये बिजली बना रहा है।
टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ चुकी है कि आने वाले कुछ सालों में हमें 24×7 सोलर जनरेशन देखने को मिल सकती है।
तो अगर आप सोच रहे हैं कि आपके इलाके में सूरज कम निकलता है इसलिए सोलर काम नहीं करेगा – तो अब सोचिए मत, क्योंकि सोलर अब हर मौसम और समय में तैयार है।
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लेखक के बारे में
S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।