On Grid vs Off Grid: सिर्फ एक गलती और आपका सोलर सिस्टम बेकार!

आजकल बिजली के बढ़ते बिल और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए लोग सोलर एनर्जी की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन जब भी हम सोलर सिस्टम लगवाने की बात करते हैं, तो दो विकल्प सामने आते हैं — On Grid Solar System और Off Grid Solar System। बहुत से लोग इनके बीच फर्क नहीं समझ पाते और गलत निर्णय ले लेते हैं।

इस पोस्ट में हम सरल भाषा में समझेंगे कि ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम में क्या अंतर है, किस जगह पर कौन-सा सिस्टम बेहतर है, और इनके फायदे क्या हैं।


ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम क्या होता है?

On Grid Solar System यानी ऐसा सोलर सिस्टम जो सीधे बिजली विभाग के ग्रिड से जुड़ा होता है। इसमें सिर्फ सोलर पैनल और इनवर्टर लगते हैं, बैटरी की जरूरत नहीं होती।

जब सूरज की रोशनी से पैनल बिजली बनाते हैं, तो वह बिजली पहले आपके घर के उपकरणों को चलाने में इस्तेमाल होती है, और बची हुई बिजली को ग्रिड (सरकारी बिजली सप्लाई नेटवर्क, जिसे पॉवर ग्रिड कहा जाता है। ये वही नेटवर्क है जिससे हमारे घरों, दुकानों और ऑफिसों में बिजली आती है।) में भेज दिया जाता है।

On grid सोलर सिस्टम लगवाने पर आपके घर में एक नेट मीटर या स्मार्ट मीटर लगाया जाता है जो आपके सोलर द्वारा बनाए गए यूनिट को रिकॉर्ड करता है। महीने के अंत में जितनी यूनिट बिजली आपके सोलर ने बनाई है, उसे आपके कुल उपयोग यूनिट में से घटा दिया जाता है। इसका फायदा यह होता है कि आपका बिजली बिल बहुत कम हो जाता है।

ऑन-ग्रिड सिस्टम की विशेषताएं:

  • बिजली विभाग के ग्रिड से जुड़ा होता है।
  • बैटरी की जरूरत नहीं।
  • बिजली बिल कम करने में सहायक।
  • इसमें सरकार द्वारा आकर्षक सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे इसकी लागत काफी हद तक कम हो जाती है।

🔌 ध्यान दें: ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम तभी काम करता है जब आपके घर में बिजली आ रही हो, क्योंकि यह सिस्टम सीधे ग्रिड (बिजली विभाग की लाइन) से जुड़ा होता है। जैसे ही बिजली कटती है, यह सिस्टम भी काम करना बंद कर देता है। इसलिए यह उन जगहों पर अधिक उपयोगी है जहाँ बिजली की उपलब्धता नियमित और स्थिर हो।

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ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम क्या होता है?

Off Grid Solar System यानी ऐसा सिस्टम जो पूरी तरह से स्वतंत्र (independent) होता है और किसी बिजली ग्रिड पर निर्भर नहीं करता। इसमें सोलर पैनल, इनवर्टर और बैटरी तीनों चीजें होती हैं।

जब दिन में सूरज की रोशनी से बिजली बनती है, तो उससे घर के उपकरण चलते हैं और साथ में बैटरियों में भी स्टोर हो जाती है। जब रात में या बिजली कट हो जाती है, तो बैटरी से बिजली मिलती है।

यह सिस्टम उन इलाकों में बहुत उपयोगी है जहां दिन में बिजली की समस्या रहती है, या दूरदराज के इलाके जहां ग्रिड कनेक्शन संभव नहीं।

ऑफ-ग्रिड सिस्टम की विशेषताएं:

  • पूरी तरह से ग्रिड से स्वतंत्र।
  • बिजली कटने पर भी काम करता है।
  • कोई मीटरिंग सिस्टम जरूरी नहीं।
  • बैकअप के लिए बेहद कारगर।

Off Grid सोलर सिस्टम की कमियां:

  • सरकारी सब्सिडी नहीं मिलती।
  • बैटरी और सिस्टम का मेंटेनेंस ज़्यादा होता है।
  • हर 5-6 साल में बैटरी बदलनी पड़ सकती है।
  • बैटरी चार्ज न हो पाने पर बिजली मिलने पर समस्या।
  • भारी लोड चलाने में दिक्कत हो सकती है।
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किसे कौन-सा सिस्टम लगवाना चाहिए?

स्थितिऑनग्रिड सोलरऑफग्रिड सोलर
बिजली की उपलब्धताजहां बिजली नियमित आती हैजहां बिजली कटौती ज्यादा होती है
उपयोगशहरी क्षेत्र, घर,ग्रामीण क्षेत्र, स्कूल, दुकानें, ऑफिस
बैटरी की जरूरतनहींहोती है
लागततुलनात्मक रूप से कमथोड़ी ज्यादा
सब्सिडीउपलब्धनहीं
उद्देश्यबिजली बिल कम करनाबिजली बिल कम करना

निष्कर्ष:

अगर आप शहर में रहते हैं और चाहते हैं कि बिजली बिल बहुत कम हो जाए तो On Grid Solar System आपके लिए बेहतर है। लेकिन अगर आप ऐसी जगह रहते हैं जहां बिजली दिन में या रात में जाती रहती है, तो आपके लिए Off Grid Solar System ज्यादा फायदेमंद रहेगा।

सोलर सिस्टम लगवाने से पहले अपनी जरूरत, लोकेशन और बिजली उपयोग का विश्लेषण करें और उसके हिसाब से निर्णय लें। अगर आपको अब भी कोई कन्फ्यूजन हो, तो आप किसी प्रोफेशनल सोलर डीलर से सलाह जरूर लें।


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