क्या आपका घर सोलर के लायक है? सिर्फ 1 मिनट में जानिए ये Trick जो इंस्टॉलर नहीं बताते!

अक्सर जब कोई व्यक्ति सोलर सिस्टम लगवाने के बारे में सोचता है, तो सबसे पहले दिमाग में यही आता है – “क्या मेरा घर इसके लायक है?” मार्केट में मौजूद सोलर कंपनियां आपको जल्दी-जल्दी में अपनी स्कीम और ऑफर तो गिनवा देती हैं, लेकिन असली सवाल पर कोई बात नहीं करता। असल में, हर घर सोलर के लिए फिट नहीं होता – और अगर आप बिना जांच-पड़ताल के सिर्फ सब्सिडी या बिजली बिल बचाने के लालच में सोलर लगवा लेते हैं, तो नुकसान तय है।
इसलिए आज मैं आपको एक ऐसी छोटी सी ट्रिक बताने जा रहा हूं जो 1 मिनट में आपको साफ कर देगी कि आपका घर सोलर के लिए उपयुक्त है या नहीं। और खास बात ये है कि ये ट्रिक ज़्यादातर इंस्टॉलर खुद नहीं बताते, क्योंकि अगर आपने पहले ही समझ लिया कि आपके घर में सोलर काम करेगा या नहीं, तो आप बेवजह के डेमो और कॉल्स से खुद को बचा सकते हैं।
सबसे जरूरी बात – छत पर “साया” नहीं, “सूरज” चाहिए
आपकी छत कितनी बड़ी है, ये मायने रखता है, लेकिन उससे भी बड़ा सवाल है – क्या आपकी छत पर दिनभर धूप आती है? और अगर आती है तो कितने घंटे? कई बार लोगों के घरों की छतें पेड़ों से ढकी होती हैं, या बगल में ऊंची बिल्डिंग की वजह से सूरज की रोशनी पूरे दिन नहीं पहुंच पाती। अगर आपकी छत पर सुबह 9 बजे से लेकर शाम के 4 बजे तक लगातार सीधी धूप आती है, तब ही आप सोलर पैनल से अच्छी बिजली पा सकते हैं।
बहुत से इंस्टॉलर बस छत की साइज देखकर कह देते हैं – “बिलकुल हो जाएगा!” लेकिन ये अधूरी बात है। साइज से ज़्यादा ज़रूरी है सोलर रेडिएशन टाइम, यानी कितने घंटे आपकी छत पर सूरज सीधा पड़ता है।
खुद जांचें, किसी पर भरोसा नहीं
आपको बस एक काम करना है। किसी साफ दिन (जब बादल न हों) सुबह 10 बजे और दोपहर 2 बजे अपनी छत पर जाकर खड़े हो जाइए। देखें कि वहां कितनी तेज़ धूप है। क्या आपके पैनल लगाने वाली जगह पर कोई छाया तो नहीं? कोई पेड़, मोबाइल टावर या बगल की बिल्डिंग की दीवार तो उस जगह को ढंक नहीं रही?
अगर छत पर इन दोनों समय 80-90% हिस्सा पूरी धूप में है, और वहां 5–6 घंटे लगातार धूप रहती है, तो समझिए – आपका घर सोलर के लिए बिलकुल फिट है। और हां, छत की दिशा भी मायने रखती है। भारत में अगर आपकी छत का सामना दक्षिण (South) या पश्चिम (West) दिशा की ओर है, तो सोलर का प्रदर्शन और भी अच्छा रहेगा।
आजकल बाजार में कई इंस्टॉलर ऐसे हैं जो बस अपना टारगेट पूरा करने के लिए हर ग्राहक को हां बोल देते हैं। वो ये नहीं बताते कि छत पर छाया पड़ने से परफॉर्मेंस 40–50% तक गिर सकती है। कई बार लोग 3 किलोवाट लगवा लेते हैं लेकिन उन्हें सिर्फ 1.5 किलोवाट जितनी ही बिजली मिलती है। नतीजा – लागत तो पूरी लगती है, लेकिन फायदा आधा ही मिलता है। और तब समझ आता है कि अगर शुरुआत में थोड़ा सोच-समझ कर फैसला लिया होता, तो हजारों का नुकसान बच सकता था।
सोलर सिस्टम लगवाना एक बार का निवेश है, लेकिन उसका असर 25 साल तक चलता है। इसलिए एक बार खुद जांच कर लेना, और सही जानकारी हासिल करना बहुत ज़रूरी है।
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लेखक के बारे में
S.K. Gupta पिछले 4 सालों से उत्तर प्रदेश में सोलर इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। वह न सिर्फ ग्राउंड लेवल पर सोलर इंस्टॉलेशन का अनुभव रखते हैं, बल्कि लोगों को सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं ताकि वे सोलर लगवाने या सोलर बिजनेस शुरू करने से पहले पूरी जानकारी ले सकें। उनकी कोशिश रहती है कि हर आम आदमी तक सोलर की सही जानकारी आसान भाषा में पहुँचे।